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Sunday 19 August 2018

अतीत का आँगन



अतीत का आँगन 
अतीत के आँगन में
अतीत का हिस्सा बन गए
वर्षों पर पड़ी
गर्द की चादर
उठाने में मशगूल था !
तभी !
यादों की गठरी लटकाये
उसी आँगन में
खुद के लिए
जगह की तलाश में
एक और वर्ष
करीब आकर खड़ा हो गया !
मैंने कौतुहलवश पूछा ..
फिर कब मिलोगे ?
मिलोगे भी या नहीं ?
कुछ गंभीर हुआ
फिर बोला..
जरूर मिलूँगा !
मगर तब___
जब यादों से मिलने
मुझ पर पड़ी
धूसर चादर को उठाने
फुरसत से___
तुम मेरे पास आओगे
यादों की गठरी संग 
अतीत के इस आँगन में ही पाओगे ..
.. अनहद 

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