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Sunday 19 August 2018

कुछ यूँ बोले अहसास..




कुछ यूँ बोले अहसास
             मुझे काव्य और काव्य शिल्प का ज्ञान नहीं !! बस यूँ ही जो मन में आता है काव्य मापनी से बेपरवाह उसको शब्दों में ढ़ालने का प्रयास करता हूँ. आपका निरंतर उत्साहवर्धन मिलता रहता है तो लिखने की ऊर्जा मिलती रहती है. आप सभी स्नेही गुणी साथियों का सदैव दिल की गहराइयों से शुक्रगुजार हूँ.
तहेदिल से शुक्र गुजार हूँ, साधुवाद के पात्र श्री Rajesh Kummar Sinha साहब का, जिनके अथक परिश्रम व लगन से अनुराधा प्रकाशन, दिल्ली से प्रकशित साझा काव्य संकलन " कुछ यूँ बोले अहसास " में 34 रचनाकारों की रचनाओं को स्थान मिला.
साथ ही आदरणीय डॉ. सुरेश सारस्वत जी का बहुत-बहुत धन्यवाद जिनके विद्वत मार्गदर्शन के फलस्वरूप रचनाएँ पुस्तकीय स्वरुप ले सकीं और रचनाकारों को एक पहचान मिल सकी.
साथियों. यह साझा करते हुए हर्ष अनुभूति हो रही है कि " कुछ यूँ बोले अहसास " साझा काव्य संकलन में 34 रचनाकारों के साथ मेरी भी पाँच रचनाओं को सम्मिलित किया गया है. इस सबका श्रेय आप सभी स्नेही गुणी साथियों को देना चाहूँगा .




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