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Sunday 19 August 2018

खुशियाँ





खुशियाँ 

अभावों में पलते
जूझते ही रहते हैं
टुकुर टुकुर बेबस
ताकते रहते हैं
सपने अनेकों
उनकी भी आँखों में हैं
इच्छाएं दिलों में
उनकी भी पलती हैं
मासूम इच्छाओं की
हम सब भी कद्र करें
उनके बेरंग जीवन में
हम मिल के रंग भरें
उपहारों खुशियों से
उनके जीवन में भर दें रस
मिलकर मनाएं__
कुछ इस तरह से क्रिसमस ..
मिलकर मनाएं__
कुछ इस तरह से क्रिसमस..
...
अनहद


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