अनुभूति
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Sunday, 19 August 2018
कोशिश बहुत की ...
कोशिश बहुत की मगर वक्त थमा नहीं
अब खुद रुका है वक्त
,
रुका रहने दो !
आवाज़ देके हमको जगाना ना अब कभी
बेघर कर दिया
,
कब्र में तो सोने दो !!
.....
अनहद
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