कैक्टस !
संवेदनाएं
जब
रेगिस्तान
हो जाती है
सम्बन्धों
के उपवन में
कंटीली
झाड़ियां..
खरपतवार !
उग आती है
तब दूर...
मजबूत खड़ा
उपेक्षित कैक्टस
कुछ सुकून देता है
कैक्टस !
अपने स्वभाव को
खुद को...
नहीं बदलता
सम्बन्धों की नित नई
परिभाषाएं नहीं गढ़ता
हर मौसम में
एक सा रहता है
हरियल कैक्टस !
छोटे ही सही
कांटों के बीच ही सही
खूबसूरत सुर्ख....
पुष्प लिए होता है कैक्टस
....
..... अनहद
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