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Saturday, 18 August 2018

शिलांग



शिलांग 

ज्यों ज्यों...
उजाला अपनी चादर
समेटने लगा
अंधेरा अपने पांव
पसारने लगा
बादलों की इस बस्ती में
बादलों की आवाजाही
जो कुछ समय पहले
कम थी ..
अब बढ़ने लगी
होटलों की
रोशनियां शबाब पर
पहुंचने लगी
जेल रोड पुलिस बाजार
बड़ा बाजार
हर बाजार की दुकानें
दिन भर पसरने के बाद
अब सिमटने लगीं 
मगर अब भी
ग्राहकों की 
आमद की आस में
हर आने जाने वाले पर
उम्मीद की
टकटकी लगाए 
सड़क किनारे खुले में 
फलों की दुकानें लगाए
महिलाएं
बेसब्र हैं! बैचेन हैं ! 
काफी फल बचे हैं !
अंधेरा गहराने लगा है
सुबह छ: बजे
दोपहरी लगती है यहां
सूर्यास्त भी.. 
जल्दी होता है यहां !
बादलों की..
इस बस्ती में
मेघों के आगोश में बसे..
पूरब के स्कॉटलैड ... शिलांग में....
...
अनहद


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