अनुभूति
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Saturday, 18 August 2018
मिलन
मिलन
कुछ आंधी में गिरे
पीत वर्ण कुछ झड़े
एक बार...
शाख से विलग जो हुए
शाख से फिर न जुड़े....
कम हुई न प्रीत
बेशक अलग हो गए....
वे डाल से
गल गए ! घुल गए ! ..
मिट्टी में
मिल गए फिर वे शाख से....
....
अनहद
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