हिमालय से उतरकर
हिमालय से उतरकर आया मैं
अथक निरंतर चलता मैं
लरजता मैं गरजता मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं .....
अथक निरंतर चलता मैं
लरजता मैं गरजता मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं .....
तट हैं निरंतर साथ मेरे
प्यासे आते पास मेरे
मैं पथिकों का सहारा हूँ
चिर पथ का अनथक पथिक हूँ मैं
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं...
प्यासे आते पास मेरे
मैं पथिकों का सहारा हूँ
चिर पथ का अनथक पथिक हूँ मैं
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं...
दिवस निशा नहीं थाह मुझे
न किसी से यहाँ मोह मुझे
इक दूजे में भेद न कर
सुख दुःख में सबके साथ हूँ मैं
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं ...
न किसी से यहाँ मोह मुझे
इक दूजे में भेद न कर
सुख दुःख में सबके साथ हूँ मैं
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं ...
बाँध दिया बंधों में मुझको
नादानी पर इतराते हो
अल्हड बहना चाह मेरी
प्रकोप से फिर क्यों डरते हो
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं__
नादानी पर इतराते हो
अल्हड बहना चाह मेरी
प्रकोप से फिर क्यों डरते हो
हिमालय से उतरकर आया मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं__
लरजता मैं गरजता मैं
अविरल अविराम बहता हूँ मैं .....
... अनहद
अविरल अविराम बहता हूँ मैं .....
... अनहद
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