कमल
देवों का प्रिय वो
मंदिरों
की शान वो
जीना
उसका पंक में
मरना
भी उसका पंक में
स्वाभिमानी
वो बड़ा
प्रफुल्लित !
कीचड में खड़ा
पंक है ! पंकज बना
तन सदा कीचड से सना
कीचड में उगा
कीचड में खिला
सबका प्यारा हो गया
अविचल अपनी ख्याति से...
कीचड़ में ही समा गया !
.. अनहद
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