अनुभूति
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Sunday, 19 August 2018
प्रेम सजाता है....
प्रेम सजाता है गुलशन को
नफरत करती है वीराना
हम मिल ऐसा दीया जलाएं
भटकों का हो घर आना ....
.....
अनहद
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