बूँद
बादलों से निकल
बलखाती चली वो
हवा के झोंकों में
लहराती चली वो
मौसम की उसको
परवाह नही है
कहां वो थमेगी
पता कुछ नहीं है
घटाटोप मौसम
उतर कर बढ़ी वो
मासूम सी.....
बढ़ती चलती चली वो
बलखाती चली वो
हवा के झोंकों में
लहराती चली वो
मौसम की उसको
परवाह नही है
कहां वो थमेगी
पता कुछ नहीं है
घटाटोप मौसम
उतर कर बढ़ी वो
मासूम सी.....
बढ़ती चलती चली वो
अकेली नहीं
साथ और भी चले हैं
सफर कब थमेगा
पता कुछ नहीं है
दिवस या निशा की
परवाह नहीं है
चलती चली बढ़ती चली वो
अल्हड़ सी ...
अंजान बढ़ती चली वो
साथ और भी चले हैं
सफर कब थमेगा
पता कुछ नहीं है
दिवस या निशा की
परवाह नहीं है
चलती चली बढ़ती चली वो
अल्हड़ सी ...
अंजान बढ़ती चली वो
सफर है जारी
मंज़िल है बाकी
सोचती सफर
अब कितना है बाकी
थमना जो चाहे
पैर थमते नहीं हैं
मंज़िल है बाकी
सोचती सफर
अब कितना है बाकी
थमना जो चाहे
पैर थमते नहीं हैं
नादान सी बस....
चलती चली वो
सखियों संग बतियाती...
बलखाती चली वो
चलती चली वो
सखियों संग बतियाती...
बलखाती चली वो
हर बूंद का...
ठिकाना अलग है
साथ खेली वो बचपन
मंज़िल अब जुदा है
बादल था घर अब
नए घर है जाना
परवाह न उसको
भाग्य के भरोसे...
बहती चली वो
बादलों से निकल
अंजान सफर पर चली वो
....अनहद
ठिकाना अलग है
साथ खेली वो बचपन
मंज़िल अब जुदा है
बादल था घर अब
नए घर है जाना
परवाह न उसको
भाग्य के भरोसे...
बहती चली वो
बादलों से निकल
अंजान सफर पर चली वो
....अनहद
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