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Tuesday, 27 October 2015

माशूका की जुल्फों में क्यों कैद है शायरी !



 
माशूका की जुल्फों में क्यों कैद है शायरी !
मुफलिसों को भी अल्फाजों की उड़ान दो. 

तगाफुल की आग जल रही है मुफलिसी !
अपने आशार में मुफलिसों को जुबान दो.

दुष्यंत और अदम हम सभी को पुकारते !
शायरी को अब नया इंकलाबी रुझान दो. 

... विजय जयाड़ा 27.10.15



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