अनुभूति
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Wednesday 9 December 2015
रहगुज़र मुश्किल चुनी तो ...
रहगुज़र मुश्किल चुनी तो
बैर ठोकरों से भला कैसा !
चाह
अगर
फूलों की है तो
निबाह काँटों से जरूरी है .
विजय जयाड़ा
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