अनुभूति
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Monday 21 December 2015
तरक्की के दौर में जमाना बदल गया ..
तरक्की के दौर में जमाना बदल गया
कायनात वही है सिर्फ इंसान बदल गया !
महफूज़ रखो खुद को कि ज़माना ख़राब है
अब इंसान ही इंसानी ख़ूँ का प्यासा हो गया !!
विजय जयाड़ा /तस्वीर : पुत्री दीपिका जयाड़ा द्वारा
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