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Tuesday 8 December 2015

खुशबु इनमें बेशक नहीं ! ...



 खुशबु इनमें बेशक नहीं !
  मगर कुछ तो बसा है इनमें,
महकाया नही कुदरत ने मगर
      फुर्सत से रंग तो भरे हैं इनमें .... 

.... विजय जयाड़ा

 

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