अनुभूति
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Saturday 19 December 2015
मायूस कर के खुश न हो मौला ! ...
मायूस कर के खुश न हो मौला !
घने अंधेरों में ही जुग्नुओं को निकलते देखा है,
तीरगी रही न यहाँ सदा के लिए
सहर के आने पर अंधेरों को दूर जाते देखा है !!
.... विजय जयाड़ा
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