अनुभूति
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Thursday 17 March 2016
आसमां पर टकटकी लगाये
आसमां पर___
टकटकी लगाये
अब किसका इंतजार है !
छोड़ अपनों को उधर
परिंदा बे सुकून है !!
भीड़ से आगे निकलना
जुनूँ ____ बेशक खूब सही
मगर ____
अपनों को छोड़ देना अकेला
देता कब सुकून है !!
.. विजय जयाड़ा
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