अनुभूति
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Saturday, 12 March 2016
सियासत रंगी गई रंगों से बहुत ...
सियासत रंगी गई रंगों से बहुत
मगर रंग-ए-अमन न जाने गम गया कहाँ !
काबू में रहा मर्ज तो बदलते रहे हकीम
नासूर बन गया अब शिकायत करें कहाँ !!
^^ विजय जयाड़ा
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