अनुभूति
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Tuesday, 1 March 2016
सुनी जो आहट ..
सुनी जो आहट
सोचकर__
परिंदे घबरा गए !
अपनी दुनिया से निकल
"इंसान" ! इधर भी आ गए !!
.... विजय जयाड़ा
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