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Wednesday, 30 March 2016

सूर्यदेव की व्यथा



सूर्यदेव की व्यथा

सर्दी ने कमर कसी जब
सूर्यदेव बहुत सकुचाये,
मान मनौव्वल कर सर्दी का
विलंबित स्कूल में आये...

सिकुड़े-अकड़े कक्षा में पहुंचे
देर आने पर डांट लगी,
घबराए तब बहुत सूर्यदेव
घबराते व्यथा बयाँ करी...

सर्दी का मौसम है बेदर्दी
देर से मैं जग पाता हूँ,
जल्दी से बस्ता लेकर मैं
स्कूल को चल देता हूँ...

जल्दी में टोपी-दस्ताने
घर पर भूल आता हूँ !
रास्ते में कुहरा ही कुहरा
ठंड कंपाने लगती है !
वापस जाकर टोपी दस्ताने लाने में
स्कूल देर से आता हूँ...

देर आने की छूट कर दो
बस सर्दी के मौसम में,
चाहे जितनी भी जल्दी बुलवा लो
दूसरे किसी भी मौसम में...

नाक से ऐनक आँखों पर रख,
टोपी को कानों पर पहुँचाया,
समय से आना, समझाकर तब
सर जी ने पाठ शुरू करवाया..
.. विजय जयाड़ा 22/12/14

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