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Thursday, 10 March 2016

छलावा !



.. छलावा ! ...

मोहक सुकोमल
पुष्प को
शूलमय तने पर देख
स्नेहिल हाथ
उस तरफ बढ़ जाते हैं
नर्म अहसास
देने के उपक्रम में
कंटकों से
लहुलुहान हो जाते हैं !
मगर आश्चर्य !!
विदीर्ण हाथों को देख
पुष्प दुखी नहीं !
मुस्कराते हैं !!
शायद __
काँटों में उलझा होना
पुष्प वेदना नहीं !
कैक्टस का दिखावा है
आकर्षित करना___
ह्रदय विदीर्ण कर
खुद खुश होने के अनुक्रम में
कैक्टस का एक छलावा है !!
.. विजय जयाड़ा

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