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Wednesday, 30 March 2016

जीवन






 जीवन

पूष की सर्दी ने जब जकड़ा
अंधेरों ने भी डराया उसे !!
तब मधुर माघ रश्मियों ने
अपने आँचल में संभाला उसे
हँसते खेलते फाग आया
मस्ती में रंग डाला उसे
चैत बैसाख हरषा रहा था
त्यों जेठ ने झुलसाया उसे !!
मेघ लेकर आषाढ़ आया
सावन ने खूब झुमाया उसे
भाया न ये सब भादों को
उमस में उमसाने लगा तब !!
आश्विन कार्तिक और अगहन ने
बाँहों में भर दुलारा फिर उसे...
उदासी और उल्लास निरंतर
जीवन भर चलता ही रहा
संघर्षों में हार न मानी जिसने
विजय ने आलिंगन दिया उसे ...
.. विजय जयाड़ा 28.12.14


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