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Friday, 18 September 2015

ऋषि बन कर समाधि लगाये ...


ऋषि बन कर समाधि लगाये,
  हिमालय ! तू आँखें मूंदे मौन है !!
  दुश्मन के हौसले बुलंद न फिर हों,
     मौन तोड़ने का आया फिर वक्त है !!


... विजय जयाड़ा


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