अनुभूति
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Friday, 18 September 2015
हरीतिमा खुशहाली ओढ़े ...
हरीतिमा खुशहाली ओढ़े
ऊपर गगन विशाल हो
फूलों सा हँसता हो जीवन
गहन और विस्तीर्ण हो
.. विजय जयाड़ा
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