बुझदिली !!
कुदरत का कहर
उसकी तकदीर में था गुंथा !!
बादलों से फिर बिजली गिरी
एक और सरसब्ज़ दरख़्त
फिर धरती पर ढह गया !
तफ्तीश और पूछताछ !
मौके मुआयना भी खूब हुआ
मगर नतीजे में बीमार
बूढ़ा और सूखा ठहराया गया !!
खबर नवीसों को इल्म था
दरख़्त के ढह जाने का !!
मगर !
सियासती तकरीरों में मशगूल थे !!
जिनमें उसको ....
“बुझदिली” का तमगा पहनाया गया !!
उसकी तकदीर में था गुंथा !!
बादलों से फिर बिजली गिरी
एक और सरसब्ज़ दरख़्त
फिर धरती पर ढह गया !
तफ्तीश और पूछताछ !
मौके मुआयना भी खूब हुआ
मगर नतीजे में बीमार
बूढ़ा और सूखा ठहराया गया !!
खबर नवीसों को इल्म था
दरख़्त के ढह जाने का !!
मगर !
सियासती तकरीरों में मशगूल थे !!
जिनमें उसको ....
“बुझदिली” का तमगा पहनाया गया !!
.. विजय जयाड़ा
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