अनुभूति
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Saturday, 26 September 2015
दस्तूरों की खातिर ....
दस्तूरों की खातिर
मजहबों में क्यों
बंट जाता है इन्सान !!
बेवक्त मौत आके !!
पूछती नहीं .... कि
कौन हिन्दू और
कौन मुसलमान !!
.. विजय जयाड़ा
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