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Saturday, 26 September 2015

मन शब्दांचल


........मन शब्दांचल.......

मन शब्दांचल सघन शब्द वन
शब्द आपस में उलझे हुए,
अमर्यादित शब्दों में जोर अधिक
सौम्य शब्द दिखे कुम्हलाते हुए,
अस्तित्व बचाने की खातिर
कुछ कंदराओं में जा छिपे,
कुछ हाँफते हुए दूर दिखे
जल की आस में तड़प रहे,
कुछ लटके तरु शाखों पर
शाखोों में जीवन तलाश रहे,
प्रदूषित मन सघन शब्द वन
सौम्य शब्द भटकते इधर-उधर
व्याकुल से अस्तित्व तलाश रहे !!
 
..विजय जयाड़ा 30/10/14


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