अनुभूति
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Thursday 15 October 2015
शक की दीवारों पर किसी को यूँ न बिठा दीजिये
शक की दीवारों पर किसी को यूँ न बिठा दीजिये
दाना उठा ले जाएगा मिलेगा हम को कुछ भी नहीं !
बेफिक्र हो के मिल के लें अब जीवन का हम मजा
शक की दीवारें ऊँची कर हासिल होगा कुछ भी नहीं !
... विजय जयाड़ा
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