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Saturday 12 March 2016

विज्ञान



विज्ञान

विज्ञानमयी हुई अब दुनिया,
मानव विस्मित पर खुशहाल है,
गुज़रबसर के उपकरणों और
बस्ते की चीजों में परिलक्षित विज्ञान है !!
कंदराओं से खेतों फिर शहरों तक
मानव को लाया विज्ञान है !!!
मुझको आपसे सम्बद्ध करते
इस ध्वनि यंत्र में भी समाया विज्ञान है !!
गंगोत्री से निकली गंगा,
प्रकृति का वरदान है,
ज्ञानगंगा को कायम रखते
कागज कलम स्याही कंप्यूटर,
ज्ञान सरंक्षक और परिमार्जक
विज्ञान प्रदत्त उपहार है,
सफ़र शुरू हुआ बैलगाड़ी से,
मिशन चंद्रयान तक जा पंहुचा,
इस दौरान सूत कातती बूढी अम्मा,
चंदा से जाने कब कहाँ चली गई !!
मानव निर्मित उपग्रहों के अन्वेषी साए में
ब्रह्माण्ड के गूढ़ रहस्यों की अब,
जैसे नित रहस्यमयी बरसात हुई !!!
मोबाइल में ही सिमट गया
अब जैसे सारा संसार है,
सिमटे सात समंदर पार के किस्से,
दूर देश भी लगते बिलकुल पास है.
स्लोगन, ‘ कर लो दुनिया मुट्ठी में ’
अब सच में साकार हुआ,
तीनों लोकों की तिलिस्मी दुनिया से
अब मानव का साक्षात्कार हुआ.
हर जैविक,भौतिक,रासायनिक घटना को
‘क्या-क्यों-कैसे’ की कसौटी पर मानव खंगाल सका.
बंधन से अंधविश्वासों के भ्रमजाल से मानव को,
कोई और नही,विज्ञान ही निकाल सका !!
वर्णित शास्त्रों वेदों में है,
कण कण में रमता भगवान् है,
गॉड पार्टिकल या ‘भगवत कण’ के
मूल में,समाया यही शक्तिसार है.
या कहूँ मूर्त रूप में भगवत कण में
ईश् शक्ति का करवाया दीदार है.
क्या !! समृद्ध विज्ञान के स्वामी,
कुछ मानव देव कहलाये थे !!!
क्या !! कर, सुमेरु पर्वत का अवस्था परिवर्तन !!
समूचा पर्वत ही पवनपुत्र उठा लाये थे !!!
कुछ कल्पनाओं के सागर में
मैं गोते अक्सर लगाता हूँ,
उतराते कल्पना सागर में विज्ञान को ही पाता हूँ !!
कणाद,आर्यभट्ट, सुश्रुत की थाती को
रमन,स्वामीनाथन,भाभा,कलाम ने आगे बढ़ाया है,
मिसाइल, कंप्यूटर, दूरसंवेदी उपग्रह और
प्रक्षेपण क्षेत्रों में भारत को शीर्ष तक पहुँचाया है.
मानव कल्पनाओं को मूर्तरूप देकर,
जन जन तक पहुँचाना ही विज्ञान है,
लेकिन मानव के कुत्सित कर्मों से,
विज्ञान कहलाता कभी अभिशाप है !!
अनियंत्रित मशीनीकरण की होड़ में
विनाश ही गहराया है,
त्वरित लाभ में प्रकृति दोहन का साथी बन,
विज्ञान में सृष्टि का विनाश भी समाया है. ,
एक साधन है विज्ञान मगर
मानव ने ‘शक्ति’ इसे बनाया है !!
अहंकार की वेदी पर युद्धों में
निर्दोषों का खून बहाया है !!
जियो और जीने दो, को कर अनुसरित,
जनहित में ही विज्ञान अपनाना है
बने भारत विज्ञान जगत गुरु,
नन्हे वैज्ञानिकों में, ये भाव जगाना है..
समय अनुपालक यंत्र (बजर) के अनुपालन में
विराम शब्दों पर यहीं लगता ह
इस यंत्र की तकनीकी में भी,
विज्ञान को ही पाता हूँ. 

    रचयिता व प्रस्तुतकर्ता ...
विजय प्रकाश सिंह जयाड़ा / 05.02.14
EDMC विद्यालय त्रिलोकपुरी 28-I
नयी दिल्ली

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