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Wednesday 30 March 2016

यादें



“ यादें !! “

बड़ा अजीब होता है
यादों का मिजाज !!
बिना आहट
चली आती हैं
बेधड़क !!
न समय की परवाह
न ठिकाने से सरोकार
महफ़िल हो
या हो विरानापन !!
उन्हें तो बस
चले आना है
बिन बुलाये ..
मेहमान की तरह !
पतझड़ संग आती हैं
कभी बसंत के संग !!
तो कभी चली आती हैं
समूचे अतीत के संग !!
भीड़ में भी तन्हा ..
अकेले में
हंसा देती हैं
ये निर्लज्ज यादें !
हौले-हौले से
अंतस में
समा जाना..
तय करता है
हमारा ..
मिजाज और अंदाज !
बड़ा अजीब होता है
इन यादों का मिजाज !!
.. विजय जयाड़ा 05/01/15

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