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Wednesday 30 March 2016

बटोही



बटोही

राह चिरंतन
चाह चिरंतन
चिरंतन बटोही
      राह का___
तन मलिन
उमंग अतिशय
    नियति___
बढ़ना लक्ष्य तक
छोड़ रेला
यादों भरा
    चलते ही जाना है उसे___
घाव उपजाए
शूल, कंकड
पथ की मिटटी से ही
      भर देने हैं उसे___
तन से बहता
स्वेद अनवरत
उत्साह की
      अभिव्यक्ति है___
आसरा देता
हर ठिकाना
     गवाह___
    दृढ संकल्प का है___
इरादों से अनभिज्ञ !!
लक्ष्य तक
    पोषित करते उसे__
जल-प्रपात
    तरु छाँव और मंद बयार__
मन में रचा जो
बटोही को है
बस उसका पता !
       चाह___
अमूर्त की है
या मूर्त पाकर ही
रुक जाना है उसे !
तृष्णा शांत करनी है या
     उफनते___
तृष्णा सागर की
गहराइयों में
   समा जाना है उसे !!
  विजय जयाड़ा..20.05.14
( चिरंतन = शाश्वत, निरन्तर, Ever lasting )


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