मुसाफिर
हाड माँस का ये ढांचा
खंडहर हो जाना है
चलता चल मुसाफिर
बहुत दूर जाना है ..
धूप छाँव भी मिलेगी
बारिश भी कम नहीं
हर राह तुझे चलना__
बस चलते ही जाना है..
हमसफर साथ है तो
सफर कट ही जाएगा
मंजिल तक है पहुंचना
तो अकेले भी जाना है ..
चलता चल मुसाफिर
बहुत दूर जाना है
हर राह तुझे चलना__
बस चलते ही जाना है ...
.. विजय जयाड़ा
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