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Saturday, 2 April 2016

मुसाफिर



 मुसाफिर

हाड माँस का ये ढांचा
खंडहर हो जाना है
चलता चल मुसाफिर
   बहुत दूर जाना है ..
धूप छाँव भी मिलेगी
बारिश भी कम नहीं
    हर राह तुझे चलना__
बस चलते ही जाना है..


हमसफर साथ है तो
सफर कट ही जाएगा
मंजिल तक है पहुंचना
   तो अकेले भी जाना है ..


चलता चल मुसाफिर
बहुत दूर जाना है
  हर राह तुझे चलना__
  बस चलते ही जाना है ...


.. विजय जयाड़ा

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