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Saturday, 2 April 2016

बदलाव !



बदलाव !

मसीहा तलाशते हैं
बदलाव के लिए !!
मगर
खुद को महफूज रख
बदलाव हो
तो किस तरह !!
उजालों की चाह में,
अंधेरों को कोसते रहे !!
मगर
अँधेरा भगाने की कोशिशों में
दीया तक जलाया नही गया !!
आलोचना में दूसरों की,
क्यों वक़्त बर्बाद करें.
चलो, क्यों न खुद से ही
बदलाव की शुरूआत अब करें.
^^ विजय जयाड़ा


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