काला कागा
काला कागा डाल पर बैठा
कांव-कांव चिल्ला रहा,
गर्मी से बेहाल बेचारा
पूरा मुंह खोले हाँफ रहा !
कांव-कांव चिल्ला रहा,
गर्मी से बेहाल बेचारा
पूरा मुंह खोले हाँफ रहा !
तिनके पत्ते उठा रहा है
तार टहनियाँ बटोर रहा,
दूर किसी पेड़ पर जाकर
घोंसला अपना बना रहा .
कांव-कांव कागा की सुनकर
दोस्त भी उसके आ गए,
हरे नीम आ बैठे सारे
कागा कागा छा गए !
कांव कांव करता कागा जब
दादी बहुत चिढ जाती है,
डाल पर बैठे काले कागा को
लाठी दिखा के भगाती है !
कागा ! कागा ! लौट के आना
दादी को हम मनाएंगे,
लेकिन तुम चुप रहना बिलकुल
हम रोटी रोज़ खिलाएंगे !!
विजय जयाड़ा 05.06.16
तार टहनियाँ बटोर रहा,
दूर किसी पेड़ पर जाकर
घोंसला अपना बना रहा .
कांव-कांव कागा की सुनकर
दोस्त भी उसके आ गए,
हरे नीम आ बैठे सारे
कागा कागा छा गए !
कांव कांव करता कागा जब
दादी बहुत चिढ जाती है,
डाल पर बैठे काले कागा को
लाठी दिखा के भगाती है !
कागा ! कागा ! लौट के आना
दादी को हम मनाएंगे,
लेकिन तुम चुप रहना बिलकुल
हम रोटी रोज़ खिलाएंगे !!
विजय जयाड़ा 05.06.16
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