संस्कृति
अपनी संस्कृति की तुलना
क्यों दूसरी तहजीबों से करते हैं !
क्यों दूसरी तहजीबों से
अपनी संस्कृति को उत्तम कहते हैं !
रमती रही अनंत काल से
अतुल्य सनातनी संस्कृति हमारी है
आक्रान्ताओं के जुल्मों से जूझकर
सदा अधिक निखर कर उभरी है.
संस्कृति का जयकारा लगाकर
कौन संस्कृति अनंत तक जीवित रही
यूनान मिश्र रोमा मिट गए जहाँ से
अपने आचरण का परिष्कार कर्रें.
धर्म जाति क्षेत्र भाषा सीमा तजकर
हम अब साझा व्यवहार करें ..
जगत गुरु पुन:प्रतिष्ठित हो भारत
ऐसा हम सब सद् व्यवहार करें.
..विजय जयाड़ा 21/09/14
क्यों दूसरी तहजीबों से करते हैं !
क्यों दूसरी तहजीबों से
अपनी संस्कृति को उत्तम कहते हैं !
रमती रही अनंत काल से
अतुल्य सनातनी संस्कृति हमारी है
आक्रान्ताओं के जुल्मों से जूझकर
सदा अधिक निखर कर उभरी है.
संस्कृति का जयकारा लगाकर
कौन संस्कृति अनंत तक जीवित रही
यूनान मिश्र रोमा मिट गए जहाँ से
अपने आचरण का परिष्कार कर्रें.
धर्म जाति क्षेत्र भाषा सीमा तजकर
हम अब साझा व्यवहार करें ..
जगत गुरु पुन:प्रतिष्ठित हो भारत
ऐसा हम सब सद् व्यवहार करें.
..विजय जयाड़ा 21/09/14
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