अनुभूति
ad.
Saturday, 2 April 2016
उम्र के संग चलने का..
उम्र के संग चलने का.. नतीजा कुछ यूँ हुआ !
बचपन को छोड़ा था जिधर .. खुदा भी ठहर गया !!
.. विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment