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Saturday, 2 April 2016

अंश



अंश

पादपों की शाखों पर
दो पात कुछ बतिया रहे
हरा पात लहराता हवा में
पीत पात कुछ गंभीर था
तेज गर्म झोंका हवा का
दोनों को दूर ले उड़ा
घबराया बहुत हरा पात
पीत संग जा गिरा
हिम्मत बंधाई पीत ने
हरा पात तब स्थिर हुआ
पोषा उसे पीत ने
खुद को गला मिटाकर
हरे पात से कई पादप उगे
एक से ही अनेक बन गए
मगर मूल सबका एक था
पीत ने मिटाया था खुद को
उसका भी उनमें अंश था. 

.. विजय जयाड़ा 19/09/14

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