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Sunday 7 February 2016

अत्र कुशलम् तत्रास्तु



||अत्र कुशलम् तत्रास्तु ||

        मित्र को स्नेह मिलन.... .
परिवार में
बड़ों को प्रणाम कहना
छोटों को प्यार
अन्य सभी को नमस्कार कहना,

   अत्र कुशलम् तत्रास्तु....
पूरी सर्दी तुम्हारी
चिट्ठी की इंतजार में बीती !
क्यों बिसरा दी तुमने
बचपन को वो प्रीती !!
ना चिट्ठी ना पत्री भेजी
ना कोई खबर सार ही पूछी
दोस्त को भूल गए हो  शायद
पोस्टकार्ड पर__
दो लाइन भी नहीं लिख भेजी  !!

हुई  हड़ताल खतम अब
तुम चिन्ता ना करना
अपने, आस-पास के
       हाल समाचार___
चिट्ठी में लिख कर भेजना,

याद आता है अब भी
जंगल में मिलकर जाना
पेड़ों से फिसलकर
चोटी पर पहुंच, इतराना,

बदल रहा है मौसम
अपना ख्याल रखना
पत्र मिलते ही
तुरंत जवाब लिखना,

    थोड़े लिखे को__
ज्यादा समझना
पास पड़ोस में
सबको यथा योग्य
प्यार और प्रणाम कहना,

कुशलता के साथ
पत्र की प्रतीक्षा में
तुम्हारा लंगोटिया यार 
   विजय जयाड़ा दिल्ली में   ...

... विजय जयाड़ा 07.02.16

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