~बादलों का समन्दर~
रूई सी नर्म
फाहों को उठकर
बादल बनते मैंने देखा
अनेक से एक___
हुए जब बादल
लहराता समन्दर देखा !
दूर दूर से बादल आते
झूमते हाथी जैसे दिखते
बादलों से
ऊपर जाकर तब
बादलों का समन्दर देखा !
उठती जल वाष्प
धरती से ऊपर
व्यष्टि को समष्टि होते देखा
उड़ते बादल
जब जब मिलते
बिछड़ों का आलिंगन देखा
उमड़ घुमड़
मस्ती में लहराता
अजब एक समन्दर देखा !
मणिकूट
पर्वत पर बैठा
उजला घना समन्दर देखा !
धरती से ऊपर__
नील गगन के नीचे
उड़ता नर्म बिछौना देखा
नर्म बिछौने
में जा बैठूँ
सपना एक सलौना देखा !
बादल बरसे
तन्द्रा टूटी
विहित में निहित समाहित देखा
प्यास बुझाने
आया सबकी
बादलों का समन्दर देखा !!
... विजय जयाड़ा
फाहों को उठकर
बादल बनते मैंने देखा
अनेक से एक___
हुए जब बादल
लहराता समन्दर देखा !
दूर दूर से बादल आते
झूमते हाथी जैसे दिखते
बादलों से
ऊपर जाकर तब
बादलों का समन्दर देखा !
उठती जल वाष्प
धरती से ऊपर
व्यष्टि को समष्टि होते देखा
उड़ते बादल
जब जब मिलते
बिछड़ों का आलिंगन देखा
उमड़ घुमड़
मस्ती में लहराता
अजब एक समन्दर देखा !
मणिकूट
पर्वत पर बैठा
उजला घना समन्दर देखा !
धरती से ऊपर__
नील गगन के नीचे
उड़ता नर्म बिछौना देखा
नर्म बिछौने
में जा बैठूँ
सपना एक सलौना देखा !
बादल बरसे
तन्द्रा टूटी
विहित में निहित समाहित देखा
प्यास बुझाने
आया सबकी
बादलों का समन्दर देखा !!
... विजय जयाड़ा
मेरे छुटकु कैमरे से बादलों के लहराते-बलखाते दूर तक फैले बादलों के समंदर की रोमांचक तस्वीर मणिकूट पर्वत, कोठार गाँव, ऋषिकेश, से ली गयी है
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