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Thursday, 4 August 2016

प्रवाह



> प्रवाह <

धरती हो जाए
   मरुभूमि !!
कैक्टस उग आयेंगे
   कांटें__
  उनसे जुदा नहीं !
   सबको सतायेंगे !!
चाहत हो गुलाब की
धरती को
खाद पानी चाहिए
    मस्तिष्क__
  बनने न पाए मरुभूमि !
   निरंतर ___
     विचार प्रवाह चाहिए ...


.. विजय जयाड़ा


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