क्षितिज का आँचल पकड़ने अब चला वो दिवस प्रहरी स्वर्ण घट ज्यों ज्यों उतरता विहग नीड़ अपने पहुँचता,
बाहें लहराता खड़ा था अब तक अडिग शिखर सेनापति देवदारु, सघन हरीतिमा उल्लासमय था शांत-श्याम__ क्यों हुआ देवदारु !! .... विजय जयाड़ा कोटी-कनासर, जौनसार बावर, देहरादून में सघन देवदार वृक्ष वन की ओट से सूर्यास्त का नजारा ...
No comments:
Post a Comment