अनुभूति
ad.
Thursday, 4 August 2016
उनके मुरझाये लब
उनके मुरझाये लब लाचारी बयाँ करते हैं,
होंठ सुर्ख होंते हैं तो मिजाज बदल जाते हैं !
.... विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment