अनुभूति
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Friday, 20 May 2016
सुन कसीदे मयखाने के तेरे ,
सुन कसीदे मयखाने के तेरे ,
दौड़े चले आये हम
अब तेरी रज़ा है साक़ी,
मदहोश कर या चले जाएँ हम ...
... विजय जयाड़ा
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