मन की अभिलाषा
महलों की किलकारी न सही ,
भूखे शिशु का रूदन स्वर बन
परहेज़ तुझे हो घुँघरू से तो
अबलाओं का स्वर तू बन
न भाग्य भरोसे बैठ कभी ,
कृषकों का मधुर गीत तू बन
आँगन में खिलता पुष्प नहीं ,
घने वृक्ष का स्वर तू बन
कायर के शब्द का मोल कोई ?
रणवीरों की हुंकार तू बन
विश्वास यदि श्रम पर तुझको ,
तो मजदूरों का स्वर तू बन
हो सरल झूठ का मार्ग मगर
तू सदा सत्य की वाणी बन
गर माँ का स्वर बनना चाहे ,
भारत माता का स्वर तू बन
पिंजरे में पंछी क्या गाये ,
उन्मुक्त विहग का गीत तू बन
सूखी धरती जब प्यासी हो ,
शीतल वर्षा का स्वर तू बन
हो कोई दुखी संतप्त यदि ,
तो अपनेपन का स्वर तू बन
अपनी वाणी को शब्द तो दे ,
अब तोड़ मौन का ये बंधन
धीरज, आशा और नव उमंग का
गौरवशाली स्वर तू बन
^^^ विजय जयाड़ा 24.05.13
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