अनुभूति
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Saturday, 29 August 2015
महकते लम्हे !!
महकते लम्हे !!
गुजर जाते हैं
महकते लम्हे .....
हवा के झोंके की तरह !
काश !
ठहर जाती ये हवाएं और
महकाती चमन को सदा ..
फूलों की तरह !!
विजय जयाड़ा
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