कृतज्ञता
माली सींचे सौ घड़ा ॠतु आये फल होय।।
रेडियो आस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक स्थलों पर आधारित मेरे आलेखों व साक्षात्कार के प्रसारण उपरांत, रचना का प्रकाशन सुखद अनुभूति प्रदान कर रहा है।
मैं स्वलिखित रचनाओं को प्रकाशित होने हेतु नहीं भेजता, न्यू एनर्जी स्टेट, साप्ताहिक पत्र के संपादक मंडल का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने स्वयं ही मेरी रचना को फेसबुक से, अपने पत्र में स्थान देकर मेरा उत्साहवर्धन किया। न्यू एनर्जी स्टेट, पत्र परिवार का हार्दिक आभार..
प्रकाशित रचना____
साहिल पर मुन्तजिर हैं
ख्वाइश-ए-दीदार हम
कभी तो लहर आएगी
तपते हैं.......धूप में हम
अरमान... कम नहीं हैं
जुनूँ भी है इधर.. बहुत
मंजिल.... पास आयेगी
हसरत में फिरते हैं हम।
... विजय जयाड़ा
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