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Wednesday, 12 August 2015

ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद


ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद



  पंकज उदास साहब द्वारा  गाई  गयी यह  गजल मुझे बहुत पसंद है सोचा ब्लॉग पर पोस्ट कर दूँ .. कुछ इस रचना के रचनाकार को मस्त कलकत्तवी, कुछ ज़फर गोरखपुरी कुछ मुमताज राशिद मानते हैं 


ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद
होश की बातें करूंगा, होश में आने के बाद
दिल मेरा लेने की खातिर, मिन्नतें क्या क्या न कीं
कैसे नज़रें फेर लीं, मतलब निकल जाने के बाद
वक्त सारी ज़िन्दगी में, दो ही गुज़रे हैं कठिन
इक तेरे आने से पहले, इक तेरे जाने के बाद
सुर्ख रूह होता है इंसां, ठोकरें खाने के बाद
रंग लाती है हिना, पत्थर पे पिस जाने के बाद

--मुमताज़ राशिद 

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