अनुभूति
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Saturday, 1 August 2015
हमराज – ए - वतन
हमराज – ए - वतन
मित्र है
तू ही सखा
और तू ही
हमराज–ए-वतन,
सुदूर सरहद
सजग प्रहरी
हिमालय तुझे__
सादर कोटिश: नमन.
अडिग
अकेला तू डटा
दुश्मन को
मौन ललकारता,
चरणों में__
भाव पुष्प अर्पण तुझे
सदा करते __
तेरा हम भावपूर्ण वंदन ..
....विजय जयाड़ा
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