>लौटते बादल<
एकान्त में दबे पाँव
उसका चले आना
और फिर
संग बिताये
पलों की यादों में
देर तक
दोनों का खो जाना
वक्त न जाने कब
पंख लगाकर उड़ गया !
मगर ___
अचानक उसका
बिछुड़कर फिर कभी
वापस न आ सकने की
मजबूरी__
रुंधे स्वर में बताकर
एकाएक
पलटकर चल देना !!
जैसे सावन में
पनेरे बादलों का
पास आकर भी
बिन बरसे लौट जाना !!
जो बरसेंगे तो जरूर
मगर यहाँ नहीं !!
कहीं और !!
मुझसे दूर ! बहुत दूर !!
.. विजय जयाड़ा . 12.01.16
उसका चले आना
और फिर
संग बिताये
पलों की यादों में
देर तक
दोनों का खो जाना
वक्त न जाने कब
पंख लगाकर उड़ गया !
मगर ___
अचानक उसका
बिछुड़कर फिर कभी
वापस न आ सकने की
मजबूरी__
रुंधे स्वर में बताकर
एकाएक
पलटकर चल देना !!
जैसे सावन में
पनेरे बादलों का
पास आकर भी
बिन बरसे लौट जाना !!
जो बरसेंगे तो जरूर
मगर यहाँ नहीं !!
कहीं और !!
मुझसे दूर ! बहुत दूर !!
.. विजय जयाड़ा . 12.01.16
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