अनुभूति
ad.
Wednesday, 20 January 2016
साहिल से टकरा कर कब ....
साहिल से टकरा कर कब ठहरी है मौजों की मस्ती !
टकराना उनकी फितरत, चोट देना साहिल की हस्ती !!
.. विजय जयाड़ा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment